Wednesday 25 January 2017

mukhtalif shayar


....... हर सु रोशनी तोह बस बहाना है. 

हर सु रोशनी तो बस बहाना है,
अब तो तन्हाई का ज़माना है. 

अपने ठिकाने पे वह मिलते ही नहीं,
बस बेकार का ही आना-जाना है. 

ज़िन्दगी क्या है कुछ लफ़्ज़ों में कह दूं,
मेहमान बनके रहना है फिर लौट जाना है. 

जानते है इस से कुछ नहीं मिलेगा फिर भी,
हर गुज़रती लड़की को देखते जाना है. 

दर्द का हर कटरा अपना दोस्त है,
ख़ुशी का हर ज़र्रा हमसे बेगाना है. 

यह दुनिया जिसकी इजाज़त नहीं देगी,
हमने दिल में कुछ वैसा ठाना है. 

बोहोत सी बातें है जो याद रखनी है,
कुछ बुरी यादें है जिनको भूल जाना है. 

बुज़ुर्गों के मुँह से सुना था हमने,
मौत क्या है ? बस एक बहाना है. 

भरोसे लायक यहां अब कोई भी नहीं,
जो भरोसेमंद है उन्हें भी आज़माना है. 

बुज़ुर्गों से बाइज़्ज़त पेश आओ क्योंकि,
कल तुम्हे भी बुज़ुर्ग हो जाना है. 

ऐसे जी कर भी क्या फायदा,
जब जीते-जी मर जाना है. 

                                         - राणा प्रताप सिंह।